अर्थव्यवस्था: एक परिचय
किसी भी देश के लिए बजट वहां की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग होता है. यह बजट भारत की अर्थव्यवस्था की क्या स्थिति रहने वाली है. आजादी के बाद से ही भारत में बजट को लेकर काफी उत्सुकता रही है. आपकी इसी उत्सुकता को शांत करने के लिए आइए जानते हैं बजट के बारे में कुछ रोचक तथ्य.
1. स्वतन्त्र भारत का पहला अंतरिम बजट 26 नवंबर, 1947 को आर.के. षण्मुखम शेट्टी ने प्रस्तुत किया गया था.
2. जवाहरलाल नेहरू देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने बजट को संसद में प्रस्तुत किया.
3. मोराजी देसाई 8 वर्ष के सर्वाधिक लम्बे समय के लिए वित्त मन्त्री रहे और उन्होंने संसद में सर्वाधिक 10 बार बजट प्रस्तुत किया. मोराजी देसाई जवाहर लाल नेहरु के कार्यकाल में 5 साल जबकि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 3 साल देश के वित्त मंत्री रहे.
4. वर्ष 1964 और 1968 में वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने आम बजट अपने जन्म दिन के अवसर पर प्रस्तुत किया था.
5. सी.डी. देशमुख रिजर्व बैंक के एकमात्र ऐसे गवर्नर हैं जिन्होंने सन् 1951-52 में अन्तरिम बजट प्रस्तुत किया था.
6. सन् 1991-92 में अन्तरिम तथा फाइनल बजट को अलग-अलग दलों के वित्त मन्त्रियों ने संसद में रखा. अंतरिम बजट यशवन्त सिन्हा जबकि फाइनल बजट को मनमोहन सिंह ने प्रस्तुत किया.
7. बजट को सार्वजनिक करने से इसे बेहद ही गुप्त रखा जाता है. पहले बजट पेपर्स राष्ट्रपति भवन में ही छपा करते थे. सन् 1950 में बजट पेपर लीक हो गए जिसके कारण बाद में बजट पेपर्स को मिंटो रोड स्थित सीक्योरिटी प्रेस में छापा जाने लगा. 1980 से बजट पेपर नॉर्थ ब्लॉक से प्रिंट होने लगा.
8. संसद में बजट प्रस्तुत करने वाली एकमात्र महिला इन्दिरा गांधी हैं, जिन्होंने 1970 में आपातकाल के दौरान संसद में बजट पेश किया था.
9. 1987-88 में वी.पी. सिंह द्वारा सरकार से अलग हट जाने के बाद राजीव गांधी देश के तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री बने जिन्होंने अपनी मां इंदिरा गांधी और नाना जवाहरलाल नेहरू के बाद बजट को प्रस्तुत किया.
10. 1996 में चुनाव के बाद, एक गैर-कांग्रेसी मंत्रालय ने पद ग्रहण किया. इसलिए 1996-97 के अंतरिम बजट को पी. चिदम्बरम द्वारा प्रस्तुत किया गया जो उस समय तमिल मानिला कांग्रेस से संबंधित थे. यह दूसरी बार था जब अंतरिम और फाइनल बजट अलग-अलग पार्टियों के दो मंत्रियों द्वारा प्रस्तुत किया गया.
11. एक संवैधानिक संकट के बाद जब आई. के. गुजराल का मंत्रालय समाप्त हो रहा था तब चिदंबरम के 1997-98 बजट को पारित करने के लिए संसद की एक विशेष सत्र बुलाई गई थी. इस बजट को बिना बहस के ही पारित किया गया था.
12. स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात से सन् 1998-1999 तक बजट शाम को पांच बजे ही प्रस्तुत किया जाता रहा लेकिन सन् 1999-2000 में यशवंत सिन्हा ने पहली बार शाम की बजाय सुबह के समय बजट प्रस्तुत किया।
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