रविवार, 17 अप्रैल 2016

Thalassemia. थेलासिमिया


Thalassemia. थेलासिमिया
थैलेसीमिया माता पिता के द्वारा विरासत में मिला (autosomal) रोग हे| थैलेसीमिया आनुवंशिक होता हे| यह असामान्य हीमोग्लोबिन अणुओं के गठन के कारण,और इस प्रकार से रक्ताल्पता या  एनीमिया (रक्त या खून की कमी):, thalassemias की विशेष लक्षण युक्त  होता हे|
इस बात को आसानी से इस विडिओ द्वारा समझा जा सकता हे|

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आम तौर पर, thalassemias उमस भरे मौसम में प्रचलित हैं. यह सभी जातियों को प्रभावित करता है,
Thalassemia से भूमध्य मूल, अरब, और एशियाई लोग विशेष रूप से प्रभावित हैं. मालदीव जनसंख्या के 18% पर एक की  वाहक दर के साथ दुनिया में थैलेसीमिया के उच्चतम रूप से प्रभावित हे| एक अनुमान अनुसार, साइप्रस में 1% [7] थाईलैंड में लोगों में 16% है, और बांग्लादेश, चीन, भारत, मलेशिया और पाकिस्तान से आबादी का 3-8% है| वहाँ भी लैटिन अमेरिका और भूमध्यसागरीय देशों (जैसे ग्रीस, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, और दूसरों) के लोगों की सन्तान में प्राथमिकता से पीता गया हे| इसका बहुत कम प्रसार उत्तरी यूरोप(0.1%) और अफ्रीका (0.9%) में देखा गया हे| उत्तरी अफ्रीका में उच्चतम प्रसार होनेके साथ. यह भी बेजा, Hadendoa, Sa'idi और भी नील नदी डेल्टा के लोगों में , लाल सागर हिल क्षेत्र और विशेष रूप से Siwans के बीच के रूप में ऊपरी मिस्र के स्वदेशी जातीय अल्पसंख्यकों की आबादी में आम(विशेष रूप से) है.
माता पिता से निम्न चार्ट के अनुसार यह रोग बच्चे में आ सकता हे|
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  चिकित्सा एवं  देखभाल

हल्के थैलेसीमिया: थैलेसीमिया के लक्षण के साथ रोगियों के प्रारंभिक निदान के बाद चिकित्सा या अनुवर्ती देखभाल की आवश्यकता नहीं होती हे|

 β-थैलेसीमिया विशेषता के साथ मरीजों को चेतावनी दी है, कि उनके रक्त  में लोहे की कमी जैसा दिखता है| उन्हें आयरन चिकित्सा का  उपयोग करना चाहिए| अभी तक लोहे की कमी, गर्भावस्था के दौरान एवं  पश्चात  खून को बहने से रोक कर सकते हैं
 परामर्श 
आनुवंशिक विकारों के साथ सभी व्यक्तियों को संकेत किया जाना चाहिए की, खासकर जब परिवार में, रोग का एक गंभीर रूप है,  कि हो सकता है प्रसव या संतान पर जोखिम हो|
गंभीर थैलेसीमिया
 गंभीर थैलेसीमिया के साथ रोगियों के चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है, और एक रक्त आधान (खून चडाना)ही एक मात्र और प्राथमिक उपाय हे| जो जीवन के समय को बढ़ाने में प्रभावी हे|
औषधि
बीटा थैलेसीमिया के लिए चिकित्सा चिकित्सा मुख्य रूप से लोहा केलेशन शामिल है.
 Deferoxamine नसों या subcutaneously प्रशासित |
आयुर्वेद  में मंडूर, लोह भस्म अदि योग चिकित्सक से परामर्श कर लिए जाये|

हिमोफिलिया (Himophilia) क्या है? हिमोफिलिया दिवस विशेष

हिमोफिलिया -एक  घातक रोग  जिसमें बहता खून रुकता नहीं?
आज सत्रह अप्रैल को दुनियाभर में विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। इस साल के विश्व हीमोफीलिया दिवस का लक्ष्य इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना और सभी के लिए उपचार है।
हीमोफीलिया आनुवंशिक रोग है जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता इस कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है| इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे 'क्लॉटिंग फैक्टर' [थ्राम्बोप्लास्टिन (Thromboplastin) नामक पदार्थ] कहा जाता है। शरीर इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है।
पीड़ित रोगियों से पूछताछ करने पर बहुधा पता चलता है कि इस प्रकार की बीमारी घर के अन्य पुरुषों को भी होती है। इस प्रकार यह बीमारी पीढ़ियों तक चलती रहती है।
इस बीमारी के लक्षण हैं : शरीर में नीले नीले निशानों का बनना, नाक से खून का बहना, आँख के अंदर खून का निकलना तथा जोड़ों (joints) की सूजन इत्यादि।
बार-बार रुधिर-आधान (repeated blood transfusion) देते रहना अच्छा होता है।
इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 1989 से विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाने की शुरुआत की गई। तब से हर साल 'वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हेमोफीलिया' (डब्ल्यूएफएच) के संस्थापक फ्रैंक कैनेबल के जन्मदिन 17 अप्रैल के दिन विश्व हेमोफीलिया दिवस मनाया जाता है|
इस रोग से ग्रस्त 70 प्रतिशत मरीजों में इस बीमारी की पहचान तक नहीं हो पाती और 75 प्रतिशत रोगियों का इलाज नहीं हो पाता। इसकी वजह लोगों के पास स्वास्थ्य जागरूकता की कमी और सरकारों की इस बीमारी के प्रति उदासीनता तो है ही साथ ही एक महत्वपूर्ण कारक यह भी है कि इस बीमारी की पहचान करने की तकनीक और इलाज महंगा है।     
            परिणामस्वरूप इस बीमारी से ग्रस्त ज्यादातर मरीज बचपन में ही मर जाते हैं और जो बचते हैं वे विकलांगता के साथ जीवनयापन करने को मजबूर होते हैं।
          भारत में हीमोफीलिया के लगभग 7,50,000 रोगी हैं। यहां इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों में से 12 प्रतिशत की ही जांच हो पाती है।
इस साल विश्व हीमोफीलिया दिवस के अवसर पर हीमोफीलिया फेडरेशन ऑफ इंडिया (एचएफआई) देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों में हीमोफीलिया मरीजों की जांच व इलाज से लिए स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। वहीं बेंगलुरू में आकाश में गुब्बारे उड़ाए जाएंगे। इन गुब्बारों पर हीमोफीलिया बीमारी के विषय में कई तथ्य लिखे होंगे।
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