रविवार, 17 अप्रैल 2016

हिमोफिलिया (Himophilia) क्या है? हिमोफिलिया दिवस विशेष

हिमोफिलिया -एक  घातक रोग  जिसमें बहता खून रुकता नहीं?
आज सत्रह अप्रैल को दुनियाभर में विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। इस साल के विश्व हीमोफीलिया दिवस का लक्ष्य इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना और सभी के लिए उपचार है।
हीमोफीलिया आनुवंशिक रोग है जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता इस कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है| इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे 'क्लॉटिंग फैक्टर' [थ्राम्बोप्लास्टिन (Thromboplastin) नामक पदार्थ] कहा जाता है। शरीर इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है।
पीड़ित रोगियों से पूछताछ करने पर बहुधा पता चलता है कि इस प्रकार की बीमारी घर के अन्य पुरुषों को भी होती है। इस प्रकार यह बीमारी पीढ़ियों तक चलती रहती है।
इस बीमारी के लक्षण हैं : शरीर में नीले नीले निशानों का बनना, नाक से खून का बहना, आँख के अंदर खून का निकलना तथा जोड़ों (joints) की सूजन इत्यादि।
बार-बार रुधिर-आधान (repeated blood transfusion) देते रहना अच्छा होता है।
इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 1989 से विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाने की शुरुआत की गई। तब से हर साल 'वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हेमोफीलिया' (डब्ल्यूएफएच) के संस्थापक फ्रैंक कैनेबल के जन्मदिन 17 अप्रैल के दिन विश्व हेमोफीलिया दिवस मनाया जाता है|
इस रोग से ग्रस्त 70 प्रतिशत मरीजों में इस बीमारी की पहचान तक नहीं हो पाती और 75 प्रतिशत रोगियों का इलाज नहीं हो पाता। इसकी वजह लोगों के पास स्वास्थ्य जागरूकता की कमी और सरकारों की इस बीमारी के प्रति उदासीनता तो है ही साथ ही एक महत्वपूर्ण कारक यह भी है कि इस बीमारी की पहचान करने की तकनीक और इलाज महंगा है।     
            परिणामस्वरूप इस बीमारी से ग्रस्त ज्यादातर मरीज बचपन में ही मर जाते हैं और जो बचते हैं वे विकलांगता के साथ जीवनयापन करने को मजबूर होते हैं।
          भारत में हीमोफीलिया के लगभग 7,50,000 रोगी हैं। यहां इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों में से 12 प्रतिशत की ही जांच हो पाती है।
इस साल विश्व हीमोफीलिया दिवस के अवसर पर हीमोफीलिया फेडरेशन ऑफ इंडिया (एचएफआई) देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों में हीमोफीलिया मरीजों की जांच व इलाज से लिए स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। वहीं बेंगलुरू में आकाश में गुब्बारे उड़ाए जाएंगे। इन गुब्बारों पर हीमोफीलिया बीमारी के विषय में कई तथ्य लिखे होंगे।
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