शनिवार, 28 मई 2016

भारत में भूकंप (Earthquick in India)

भारत में भूकंप

भारत भूकंप के लिहाज़ से लगातार ज़्यादा संवेदनशील इसलिए भी होता जा रहा है, क्योंकि इसकी सब-कॉन्टिनेंटल प्लेट एशिया के अंदर घुसती चली जा रही है। इससे जब भी सब-कॉन्टिनेंटल प्लेट का दबाव ऐशियन प्लेट पर ब़ढेगा तो नतीजा एक बड़े सैलाब के तौर पर दिखाई देगा। धरती की जो प्लेट्स या परतें जहां-जहां मिलती हैं वहां के आसपास के समुद्र में सुनामी का ख़तरा ज़्यादा होता है।

भूकंप की आशंका के आधार पर देश को पांच जोन में बांटा गया है। उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में आते हैं। यह हिस्सा सबसे ज़्यादा संवेदनशील कहा जा सकता है। उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज़्यादातर हिस्से और दिल्ली जोन-4 में आते हैं। इन्हें भी कम संवेदनशील नहीं कहा जा सकता है। मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण भारत के ज़्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं, लेकिन यह एक मोटा वर्गीकरण है। दिल्ली में कुछ इला़के हैं, जो जोन-5 की तरह खतरे वाले हो सकते हैं। इस प्रकार दक्षिण राज्यों में कई स्थान ऐसे हो सकते हैं जो ज़ोन-4 या ज़ोन-5 जैसे खतरे वाले हो सकते हैं। दूसरे ज़ोन-5 में भी कुछ इला़के हो सकते हैं, जहां भूकंप का ख़तरा बहुत कम हो और वे ज़ोन-2 की तरह कम खतरे वाले हों। इस मामले में बिहार ही एक ऐसा राज्य है, जहां लगभग सभी भूकंपीय ज़ोन आते हैं। इसकी जांच के लिए भूकंपीय माइक्रोजोनेशन की ज़रूरत होती है। माइक्रोजोनेशन वह प्रक्रिया है, जिसमें भवनों के पास की मिट्टी को लेकर परीक्षण किया जाता है और इसका पता लगाया जाता है कि वहां भूकंप का ख़तरा कितना है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत और तिब्बत एक-दूसरे की तरफ़ प्रति वर्ष दो सेंटीमीटर की गति से सरक रहे हैं। इस प्रक्रिया से हिमालय क्षेत्र पर दबाव बढ़ रहा है। यही वजह है कि पिछले 200 वर्षों में हिमालय क्षेत्र में छह बड़े भूकंप आ चुके हैं। इनके मुताबिक़ इस दबाव को कम करने का प्रकृति के पास सिर्फ़ एक ही तरीक़ा है और वह है भूकंप। इसलिए भूकंपों को रोकना तो किसी के बस की बात नहीं है, हां इतना ज़रूर है कि इनसे सावधान होकर जानमाल के नुक़सान को कम ज़रूर किया जा सकता है।

सबसे विनाशकारी भूकंप

हाल के वर्षों में भारत में सबसे विनाशकारी भूकंप गुजरात में आया था। 26 जनवरी 2001 को जब राष्ट्रपति राजधानी नई दिल्ली में 52 गणतंत्र दिवस पर सलामी ले रहे थे, तभी वहां से दूर गुजरात में 23.40 अक्षांस और 70.32 देशांतर तथा भूतल में 23.6 किमी. की गहराई पर भूकंप का एक तेज झटका आया। उसने राष्ट्र की उल्लासमय मनःस्थिति को राष्ट्रीय अवसाद में बदल दिया। 15 अगस्त 1950 को असम में आए भूकंप के बाद भारत मे आया यह सबसे तेज भूकंप था। उत्तरी असम में आए 8.5 परिमाण वाले उस भूकंप ने 11,538 लोगों की जान ले ली थी। सन् 1897 में शिलांग के पठार में आए एक अन्य भूकंप का परिमाण 8.7 था। ये दोनों भूकंप इतने तेज थे कि नदियों ने अपने रास्ते बदल दिए। इतना ही नहीं भूमि के उभार में स्थाई तौर पर परिवर्तन आ गया और पत्थर ऊपर की ओर उठ गए।

सावधानियाँ एवं उपाय

भूकम्‍प आने के पहले

भूकम्‍प आने से पहले तैयारी कर लेने से आपके घर और कारोबार को होने वाली क्षति कम करने और आपको जीवित बचने में मदद मिलती है।
एक घरेलू आपातकालीन योजना तैयार करें। अपने घर में अपने आपातकालीन बचाव वस्‍तुएं व्‍यवस्थित करें और इनका सही रखरखाव बनाए रखें, साथ ही एक साथ ले जाने योग्‍य गेटअवे किट (बचाव किट) भी तैयार करें।गिरने, ढंकने और थामने का अभ्‍यास करें।अपने घर में, स्‍कूल या कार्यस्‍थल में सुरक्षित स्‍थलों को पहचानें।सुरक्षा और धनराशि के संदर्भ में अपनी घरेलू बीमा पॉलिसी की जांच करें।यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपका घर अपनी नीवों पर सुरक्षित है, किसी योग्‍य विशेषज्ञ से सलाह लें।भारी फर्नीचर वस्‍तुओं को फर्श या दीवार से मज़बूती से जोड कर रखें।

भूकम्‍प आने के दौरान

यदि आप किसी भवन के अंदर हैं, तो कुछ कदम से अधिक न चलें, खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें। कम्‍पन थम जाने तक अंदर ही रहें और बाहर तभी निकलें जब आप यह निश्चित कर लें कि अब ऐसा करना सुरक्षित है।यदि आप किसी एलिवेटर पर हैं, तो खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें। कम्‍पन थमने पर नजदीकी फर्श पर जाने की कोशिश करें यदि आप सुरक्षित रूप से ऐसा कर सकें।यदि आप बाहर हैं, तो इमारतों, पेड़ों, स्‍ट्रीटलाइटों और बिजली की लाईनों से कुछ कदम से अधिक दूर न जाएं, फिर खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें।यदि आप किसी बीच पर तट के निकट हैं, तो खुद को गिराएं, ढंकें और थामे रखें और फिर तत्‍काल ऊंची जमीन की ओर जाएं यदि भूकम्‍प के बाद सुनामी आ रही हो।यदि आप वाहन चला रहे हैं, तो किसी खुली जगह तक जाएं, रूकें और वहीं ठहरें और अपनी सीटबेल्‍ट को तब तक कसे रखें जब तक कि कम्‍पन न थम जाएं। एक बार कम्‍पन थम जाने पर, सावधानीपूर्वक आगे बढ़ें और उन पुलों या ढलानों पर न जाएं जो क्षतिग्रस्‍त हो चुके हो सकते हैं।यदि आप किसी पर्वतीय क्षेत्र में या अस्थिर ढलानों या खड़ी चट्टानों पर हैं, तो मलबा गिरने या भूस्खलन होने के प्रति सचेत रहें।

भूकम्‍प आने के बाद

अपने स्‍थानीय रेडियो केन्‍द्रों का प्रसारण सुनें जहां आपातस्थिति प्रबंधन कर्मचारी, आपके समुदाय और परिस्थिति के लिए सबसे उपयुक्‍त सलाह देंगे।भूकम्‍प के बाद के झटके महसूस करने के लिए तैयार रहें।यदि चोट लगी हो तो अपनी जांच करें और आवश्‍यक होने पर प्राथमिक चिकित्‍सा प्राप्‍त करें। दूसरों की मदद करें यदि आप ऐसा कर सकें।सतर्क रहें कि बिजली आपूर्ति भंग हो सकती है और फायर अलार्म तथा स्प्रिंकलर सिस्‍टम भूकम्‍प के दौरान भवन में काम करना बंद कर सकते हैं चाहे आग न लगी हो। इसकी जांच करें और छोटी-मोटी आग हो तो बुझा दें।यदि आप किसी क्षतिग्रस्‍त भवन में हैं, तो बाहर आने की कोशिश करें और एक सुरक्षित, खुला स्‍थान खोजें। एलिवेटरों के बजाय सीढ़ियों का इस्‍तेमाल करें।बिजली की गिरी हुई लाईनों या टूटी गैस लाईनों का ध्‍यान रखें और क्षतिग्रस्‍त इलाके से बाहर निकल जाएं।आपातकालीन कॉलों के लिए लाईनें खुली रखने के लिए फोन का उपयोग केवल छोटी, जरूरी कॉलों के लिए ही करें।यदि आपको गैस की गंध आती है या आप कोई धमाके या सरसराहट की आवाज़ सुनते हैं, तो एक खिड़की खोलें, हर एक को जल्‍दी से बाहर निकालें और गैस बंद कर दें यदि आप ऐसा कर सकें। यदि आप चिंगारियां निकलती देखें, टूटे हुए तार या बिजली के सिस्‍टम क्षतिग्रस्‍त हो चुके देखें, तो मुख्‍य फ्यूज बॉक्‍स से बिजली आपूर्ति बंद कर दें यदि ऐसा करना सुरक्षित हो।अपने जानवरों को अपने सीधे नियंत्रण में रखें वरना वे बेचैन होकर इधर-उधर भाग सकते हैं। अपने जानवरों को खतरों से बचाने और अन्‍य लोगों को आपके जानवरों से बचाने के उपाय करें।यदि आपकी संपत्ति नष्‍ट हो गई हो, तो बीमा उद्देश्‍यों के लिए इसका विवरण लिखें और फोटो खींच लें। यदि आपकी सम्‍पत्ति किराए की है, तो अपने मकान-मालिक से सम्‍पर्क करें और अपनी संबंधित बीमा कंपनी से सम्‍पर्क करें जितनी जल्‍दी संभव हो सके।

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